ट्रक में सब कुछ चंगा सी लेकिन माइलेज में पंगा सी। ट्रक तो बढ़िया चल रहा है लेकिन माइलेज नहीं मिल रहा। क्या आपके साथ ऐसा होता है? होता होगा। समस्या जितनी आम है, समाधान भी उतना ही आसान है। ज़रूरी नहीं कि ट्रक अगर माइलेज नहीं दे रहा तो सर्विस सेंटर जाने की ज़रूरत है। कुछ बेसिक चीज़ों का पालन करके भी आप ट्रक का माइलेज बढ़ा सकते हैं। आज़माकर देखिए, शायद आपका काम बन जाए।
ख़ाली सड़कों पर तेज़ ट्रक आमतौर पर हर ट्रक ड्राइवर चलाता है। मंज़िल तक जल्दी पहुंचने की इच्छा या जल्दी पहुंच गए तो बोनस मिलता है। कारण चाहे जो भी हो। फ़र्ज़ कीजिए कि आप 4 हज़ार किलोमीटर ट्रक चलाएं और सामान्य गति यानी स्पीड से 15 किलोमीटर प्रति घंटा ज़्यादा रखें तो आपको .8 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज मिलेगा। अगर आप सामान्य रूप से ये चलाएं तो आपका यही माइलेज 2.5 किलोमीटर प्रति लीटर हो जाएगा। इसके अलावा अचानक ब्रेक लगाने से भी बचें। धीरे-धीरे गति को कम करें।
मैन्युफैक्चरर यानी जिस कंपनी ने ट्रक बनाया है, उसके द्वारा बताया गया फ़्यूल ही इस्तेमाल करें। कई बार लोगों की राय से ट्रक ड्राइवर अन्य प्रकार के तेल डलवा लेते हैं जिससे इंजन पर असर पड़ता है।
ट्रक की जान उसके टायर होते हैं। जितनी ज़्यादा संख्या में टायर होंगे, उतना ही वज़न ट्रक भी उठा पाएगा। किसी भी यात्रा से पहले टायरों का प्रेशर अच्छे से चेक कर लें। अगर पर्याप्त हवा नहीं होगी तो टायरों को उतना ही ज़ोर लगाना पड़ेगा ट्रक को खींचने में। टायरों की सही देखभाल न करना 10 प्रतिशत तक माइलेज घटा सकता है। इसके अलावा अगर टायर घिस गए हैं तो उन्हें बदल दें। ऐसा न किया तो माइलेज और जान दोनों को ख़तरा हो सकता है। टायरों की अलाइनमेंट का भी विशेष ध्यान रखें। समय समय पर चेक ज़रूर करवाते रहें।
अंग्रेज़ी में इसे आइडलिंग कहते हैं। अगर आप बेवजह ट्रक को पार्किंग में स्टार्ट रखते हैं तो ज़ाहिर सी बात है, इंजन पर अधिक लोड पड़ेगा और फ़्यूल ज़्यादा लगेगा। ये बात ध्यान रखिए कि जाम या सिग्नल पर ट्रक रोकना इसमें शामिल नहीं है।
जैसे हम इंसानों को समय समय पर बाल कटवाने, हेल्थ चेकअप की ज़रूरत होती है, ठीक इसी प्रकार गाड़ी फिर वो चाहे बड़ी हो या छोटी, सबको सर्विस की ज़रूरत होती है। अगर आप ठीक से और समय पर सर्विस कराते हैं, तो तेल कम लगेगा। उदाहरण के तौर पर आप हर 90 हज़ार किलोमीटर पर स्पार्क प्लग बदलवा दें। साथ ही और ज़्यादा सस्पेंशन के लिए स्प्रिंग लगवा सकते हैं। फ्यूल इंजेक्श्न क्लिनर का ध्यान रखें। ऐसी कई चीज़ें हैं जिनपर ध्यान देना ज़रूरी है।
कई ट्रक ड्राइवर तेज़ पिकअप के लिए ट्रक की रेस तेज़ी से दबाते हैं। इंजन पर फालतू में इससे दबाव पड़ता है। ट्रक बना ही आराम से चलने के लिए है। धीरे-धीरे पिकअप दें और ध्यान से चलाएं।
ये बात सही है कि ट्रक का काम ही भार उठाना है। लेकिन ये भी समझें कि हर चीज़ की सीमा है। अतिरिक्त भार न डालें। ओवरलोड होने की वजह से आपका माइलेज 1 प्रतिशत तक गिर सकता है।
अगर बाहर ठंडी हवा बह रही है तो खिड़की खोलकर ट्रक चलाएं। ट्रक में एसी चलाने से फ़्यूल 20 प्रतिशत ज़्यादा तक लग सकता है। 2015 में हुई एएफ़डीसी की रिसर्च के मुताबिक़, डीज़ल से चलने वाले भारी वाहन 0.04 से 0.08 गैलन प्रति घंटा तेल पीते हैं। पहाड़ी इलाकों में एसी या हीटर चलाते हुए ट्रक चलाने से इंजन पर अधिक दबाव पड़ता है जिससे तेल ज़्यादा लगता है।
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देखा, कहा था न इतना मुश्किल नहीं है इस चीज़ का समाधान। बस अगली बार किसी भी यात्रा पर निकलें तो 91TRUCKS द्वारा बताई गई इन बातों का ख़्याल रखें।
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